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दिल के चंद एहसास



तीर चला दिया है, अब जख्म देखना है
बदलती हुई हवाओं, का रुख देखना है।। 
जितना छिपाना चाहो, छिपा लो राज दिल में
बस कब लायेंगे जुबां पर, यही वक्त देखना है।। 


----विचार एवं शब्द-सृजन----
----By---
----Shashank मणि Yadava’सनम’----
---स्वलिखित एवं मौलिक रचना---



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4 Comments

Gunjan Kamal

07-Oct-2022 01:22 PM

बहुत ही सुन्दर

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Palak chopra

02-Oct-2022 09:51 PM

Wahhh 💐🙏🌺

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Swati chourasia

02-Oct-2022 09:42 PM

वाह बहुत खूब 👌

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